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टीबी की पहचान में क्रांति: नया उपकरण टीएचओआर कैसे करेगा मदद?

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टीबी: एक नई पहचान तकनीक

Tuberculosis

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टीबी (Tuberculosis): वैज्ञानिकों ने एक अभिनव उपकरण विकसित किया है, जिसे टीबी हॉटस्पॉट डिटेक्टर (टीएचओआर) कहा जाता है। यह उपकरण सांस के जरिए निकलने वाली हवा में ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) के बैक्टीरिया का डीएनए पहचानने में सक्षम है। इस तकनीक से टीबी की पहचान और उपचार में महत्वपूर्ण बदलाव की उम्मीद है, विशेषकर उन मामलों में जब बलगम का नमूना लेना संभव नहीं होता।


टीबी की गंभीरता और पहचान की चुनौतियाँ

टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो मुख्यतः हवा के माध्यम से फैलती है। यदि इसका समय पर उपचार न किया जाए, तो यह जानलेवा हो सकती है। आमतौर पर टीबी की पहचान बलगम के नमूने से होती है, लेकिन कई बार मरीजों को बलगम निकालने में कठिनाई होती है। खांसी और बलगम का उत्पादन न होने पर, बीमारी का निदान करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। यह समस्या विशेष रूप से उन मरीजों के लिए गंभीर होती है, जो संक्रामक होते हुए भी समय पर इलाज नहीं करवा पाते।


टीबी हॉटस्पॉट डिटेक्टर (टीएचओआर) – एक नई खोज

स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिकों ने इस समस्या का समाधान करने के लिए टीबी हॉटस्पॉट डिटेक्टर (टीएचओआर) नामक एक उपकरण विकसित किया है। यह उपकरण सांस में मौजूद एरोसोल से टीबी के बैक्टीरिया का डीएनए पहचानने में सक्षम है। यह इलेक्ट्रोस्टैटिक तकनीक का उपयोग करता है, जो सांस के कणों को इकट्ठा करता है। इसके बाद, इन कणों की जांच की जाती है, जैसे बलगम के नमूनों में बैक्टीरिया की पहचान की जाती है। इस परीक्षण को एमटीबी/आरआईएफ अल्ट्रा तकनीक कहा जाता है, जो टीबी के बैक्टीरिया की पहचान में उच्चतम क्षमता प्रदान करती है।


शोध के परिणाम

इस उपकरण का परीक्षण दक्षिण अफ्रीका के 137 वयस्क मरीजों पर किया गया। शोध में पाया गया कि जिन मरीजों के बलगम परीक्षण में टीबी का बैक्टीरिया पाया गया, उनमें से लगभग 47 प्रतिशत में सांस की हवा से भी टीबी का डीएनए पाया गया। इसके अलावा, जिन मरीजों के बलगम में बैक्टीरिया की मात्रा अधिक थी, उनके सांस के नमूनों में टीबी का पता लगाने की संवेदनशीलता 57 प्रतिशत तक बढ़ गई। इस परीक्षण में सही पहचान करने की कुल क्षमता 77 प्रतिशत तक पाई गई।


पुरुषों में बेहतर पहचान

शोध में यह भी देखा गया कि जिन पुरुषों के बलगम में बैक्टीरिया की मात्रा अधिक थी, उनके सांस के नमूनों से टीबी की पहचान करना आसान था। इसके विपरीत, जिन मरीजों को बुखार था, उनके लिए सांस के नमूनों से टीबी का पता लगाना थोड़ा कठिन था। यह जानकारी टीबी के संक्रमण और उसके फैलाव को बेहतर समझने में सहायक हो सकती है।


टीबी के इलाज में योगदान

कारोलिंस्का इंस्टिट्यूट के शोधकर्ता जय अचर ने कहा कि यह खोज टीबी के संक्रमण और उसके फैलाव को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। विशेष रूप से उन परिस्थितियों में, जहां बलगम लेना संभव नहीं होता, यह नई तकनीक संक्रमण का जल्दी पता लगाने में मदद करेगी। इससे टीबी के मरीजों को समय पर उपचार मिल सकेगा और बीमारी के फैलाव को नियंत्रित किया जा सकेगा।


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